Saturday 10 March 2007

हिंदी में पहला ब्लोग। वाह, भाई वाह!!!

आज मुझे सज्मुच घर कि बहुत याद आने वाली हैं। हिंदी में लिखने का मज़ा ही कुछ और हैं।

पिछले हफ्ते कि ही तो बीत है कि मैंने हिंदी में चिठ्ठी लिखने कि कोशिश की और वो भी ४ साल के बाद। मै इंटरनेशनल एकोनोमिन्च्स क्लास में बेठे बेठे बोर हो चुकी थी। हमारी अध्यापिका कि नाम हैं कुमारी अनेत्ते बूम और गेर्मन्य कि रहने वाली हैं। हर क्लास, वो हमारे कक्षा के बोर्ड पर न जाने क्या क्या लिख जाती है और हमे सुला देती है और मै उसके मनपसंद शब्द "इन प्रिंसिपल" को सुन सुनकर तुंग हो चुकी थी। चिठ्ठी लिकने के बाद मेरे मन ko थोड़ी सी शांति मिली। मेरे दोस्तो फिरंगी दोस्तो को भी काफी मज़ा आया मेरे चिठ्ठी को देखकर। उन्हें येह देवंगीरी स्क्रिप्ट बहुत अच्छा लगा।

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